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सितंबर 24, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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  Natural farming vs organic farming   ऑर्गेनिक खेती क्या है आजकल की तेजी से बढ़ती दुनिया में, जहाँ प्रौद्योगिकी और बड़ी मशीनें खेतों पर राज करती हैं, एक साधा और प्राचीन विचार वापसी कर रहा है - इसे "प्योर ऑर्गेनिक खेती" कहा जाता है। इस प्रकार की खेती मशीनों के बारे में नहीं है; यह सभी के लिए खेतों को बेहतर बनाने के लिए प्राकृति के साथ काम करने के बारे में है।प्राकृतिक खेती   Natural Farming नेचुरल फार्मिंग  प्राकृतिक खेती प्रकृति के साथ मिलकर काम करने का प्रयास करती है और इसमें अधिकतम हस्तक्षेप करने से बचने का प्रयास करती है बिना खुदाई भूमि को ज्यादा खुदाई उखाड़ने से बचाती है  * मल्चिंग भूमि को पत्तियों बांस के अवशेषों से ढका जाता है जिसने जमीन में नमी बनी रहती है एवं खरपतवार भी नियंत्रित हो जाते हैं * बीज की गोलियां को मिट्टी के अंदर कंपोस्ट की छोटी गोलियां डालकर उन्हें प्राकृतिक रूप से बढ़ाने में मदद करती है * मिश्रित खेती में अलग-अलग पौधों को साथ में उगने से एक दूसरे के बेहतर वृद्धि में मदद होती है फसल को अलग-अलग तत्व मिलते रहते हैं जिसका फायदा फसल को मिलता है ( 2) कार्बनि

organic-gram-seed-farming-in-Hindi/chana-ki-jaivik-kheti

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organic gram seed farming in Hindi  चना की खेती  Introduction चने को आमतौर पर छोलिया या बंगाल ग्राम भी कहा जाता है, जो कि भारत की एक महत्तवपूर्ण दालों वाली फसल है ।organic-gram-seed-farming-in-Hindi यह मनुष्यों के खाने के लिए और पशुओं के चारे के तौर पर प्रयोग किया जाता है। चने सब्जी बनाने के काम आते हैं जबकि पौधे का बाकी बचा हिस्सा पशुओं के चारे के तौर पर प्रयोग किया जाता है।चने की पैदावार वाले मुख्य देश भारत, पाकिस्तान, इथियोपिया, बर्मा और टर्की आदि हैं। इसकी पैदावार पूरे विश्व में से भारत में सबसे ज्यादा हैं और इसके बाद पाकिस्तान है। भारत में मध्य प्रदेश, राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब आदि मुख्य चने उत्पादक राज्य हैं। इन्हे आकार, रंग और रूप के अनुसार  2 श्रेणियों में बांटा गया है: 1) देसी या भूरे चने, 2) काबुली या सफेद चने। काबुली चने की पैदावार देसी चनों Google photo चना की खेती ज़मीन की तैयारी Soil managment चने की फसल के लिए ज्यादा समतल बैडों की जरूरत नहीं होती। यदि इसे मिक्स फसल के तौर पर उगाया जाये तो खेत की अच्छी तरह से जोताई होनी चाहिए। यदि इस फसल को खरी

Organic-lentil-farming-in-Hindi/masor-ki-jaivik-kheti

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  मसूर की खेती  (Lentil farming) पूरे विश्व में भारत को मसूर की खेती के लिए दूसरा स्थान प्राप्त है| भारत के मध्य प्रदेश राज्य में तकरीबन 5.85 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में मसूर की बुवाई की जाती है, जो की 39.56 प्रतिशत है| जिस वजह से यह राज्य सबसे अधिक मसूर उत्पादन वाला क्षेत्र है| इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 34.36 फीसदी व् बिहार में 12.40 प्रतिशत तक उत्पादन होता है| महाराष्ट्र में प्रति हेक्टेयर 410 KG मसूर का उत्पादन किया जाता है| Organic lentil farming in Hindi जिस वजह से यह व्यावसायिक स्तर पर अधिक मुनाफा देने वाली फसल है| Google photo   मसूर के उपयोग (Uses of lentils) एक कप मसूर दाल में लगभग २३० कैलोरी होती है और १५ ग्राम के करीब डाइटरी फाइबर, साथ में १७ ग्राम प्रोटीन होता है. आयरन और प्रोटीन से परिपूर्ण यह दाल शाकाहारियों के लिए बहुत ही उपयुक्त है. मसूर खून को बढ़ाके शारीरिक कमजोरी दूर करती है, स्पर्म क्वालिटी को दुरुश्त रखती है. पीठ व कमर दर्द में इससे आराम मिलता है. मसूर दाल में मौजूद फोलिक एसिड त्वचा रोगों, जैसे चेहरे के दाग, आंखों में सूजन आदि के लिए रामबाण है।यही कारण है कि मसूर

organic-Anar-Ke-Fayade / Pomegranate-Benefits-in-Hindi

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organic-Anar-Ke-Fayade अनार के फायदे भारतवर्ष में अनार के वृक्ष सभी जगह पाए जाते हैं पश्चिमी हिमाचल प्रदेश और सुलेमान की पहाड़ियों पर तथा ईरान एवं अफगानिस्तान मैं यह स्वयं जात होता है स्वाद भेद से अनार की तीन किसमें पाई जाती हैं देसी अनार खट्टे मीठे होते हैं काबुल और कंधार के अनार मीठे होते हैं काबली अनारो में गुठली रहित रसीला अत्यंत मीठा अनार होता है जिससे वे दाना अनार कहते हैं यह सर्वोत्तम होता है  organic-Anar-Ke-Fayade अनार का केवल फल ही नहीं अपितु इस वृक्ष का सर्वांग ही औषधीय गुणों से भरपूर होता है फल की अपेक्षा कली व छिलके में अधिक गुण पाए जाते हैं  वाह स्वरूप- -  इसका वृक्ष 10 15 फुट का होता है इसका तना चिकना  धूसर वर्ण का होता है पत्र लगभग दो-तीन इंच लंबे और आगे से चौथाई इनच चौड़े तथा दोनों सिरों पर पतले आयताकार होते हैं पोस्ट नारंगी रक्तदान कभी-कभी पीले होते हैं जो पराया एकल या कभी-कभी गुच्छे में लगते हैं इसके बारे में अनार को प्राय सभी जानते हैं एवं यह शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी है रासायनिक संगठन एवं गुणधर्म -- फल टॉक 28% तक टेनिक एसिड तथा पीत रंजक तत्व पाया जाता है तने एवं ज

organic-mustard-farming/ सरसों की खेती

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organic-mustard-farming सरसों की खेती  सरसों का भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विशेष स्थान है। देश की तेल वाली फसलों के कुल उत्पादन में सरसों का योगदान 27 प्रतिशत है।organic-mustard-farming-in-India,सरसों रबी मौसम में उगाए जाने वाली मुख्य फसल है। इसकी खेती सिंचित एवं संरक्षित नमी वाले बारानी क्षेत्रों में की जाती है। कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों के लगातार प्रयासों से सरसों के उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। यह फसल कम लागत और कम सिंचाई की सुविधा में भी अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभ देती है। इसको अकेले या सहफसली खेती के रूप में भी बोया जा सकता है। इसकी खेती सीमित सिंचाई की दशा में अधिक लाभदायक होती है। सरसों की खेती की उन्नत तकनीक कीट प्रबन्धन: सरसों की खेती में कीटों का प्रकोप पूरे देश में पाया जाता है। organic-mustard-farming-in-India,  सरसों की पैदावार को घटाने में कीटों की बड़ी भूमिका होती है। मेरठ स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के अनुसार, कीटों और बीमारियों से रबी की तिलहनी फसलों को सालाना 15-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुँचाता है। इससे किसान बह

Proso-Millet-Farming-in-India

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Proso-Millet-Farming-in-India   Organic proso millet farming  In this article, information is given about the methods of cultivation of Proso Millet (Chenna or Bari), the benefits of its cultivation and its health benefits. Proso millet is a warm-season crop grown throughout . Proso Millet Farming in-India It is also called Chena or Bari. It is a nutritious grain that can tolerate drought conditions with less water requirement. Well-drained, loamy, or sandy loam soil is best suited for the cultivation of Proso Millet. Land Preparation: For the cultivation of Proso Millet, it is necessary to prepare the soil well. Plow two to three times and at the time of last ploughing, cow dung or compost at the rate of 20-25 tonnes per hectare should be mixed well. Sowing of seeds: Sow proso millet seeds at a depth of 2.5 to 3 cm. The sowing distance should be between 20 to 25 cm. After sowing, lightly irrigate the seeds. Irrigation: Proso millet crop requires less water to grow well. However, the f