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सितंबर 17, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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organic peas farming in Hindi  हरी मटर की खेती मटर का उपयोग एक मल्टी अनाज के रूप में किया जाता है । इसके फलियों से निकलने वाले हरे दाने सब्जी के रूप में तथा सूखे दाने का प्रयोग सब्जी,दाल,सूप व मिक्स रोटी के रूप में किया जाता है । उत्तर भारत में हरी मटर की दाल चाट बनाने में भी किया जाता है | हरे मटर के दानों को डिब्बों में परिरक्षित कर लम्बे समय तक उपयोग में लाते हैं  । हरी मटर की खेती के लिए कृषि जलवायु संबंधी आवश्यकताएँ किस्मों के चयन के अलावा,मटर की खेती के लिए कृषि जलवायु की आवश्यकता भी एक महत्वपूर्ण कारक है जो उपज को सीधे प्रभावित करता है। अतः उपयुक्त जलवायु परिस्थितियों में Organic Peas Farming in Hindi मटर की खेती करने से आपको बेहतर लाभ प्राप्त होगा। इसलिए, इसका ध्यान रखें क्योंकि कृषि जलवायु की स्थिति बुवाई, फसल चक्र आदि का समय तय करती है। हरी मटर ठंडी और नम जगहों पर सबसे अच्छी तरह पनपती है। अस्थायी रूप से; मटर की खेती के लिए 12 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान आदर्श माना जाता है। 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर, आपकी खेती में मटर का खराब उत्पादन हो सकता है। फूल

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  चिया सीड्स की खेती परिचय  Chia seeds cultivation introduction चिया के बीजो में ओमेगा फैटी एसिड की भरपूर मात्रा पाया जाता है | इसके अलावा चिया में फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन और अनेक मिनरल्स जैसे पोषक तत्व मौजूद होते है | जिस वजह से चिया का सेवन शरीर व दिल को बीमारियों से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है | स्वास्थ के लिए अधिक लाभकारी होने के चलते है, विदेशो में इसे सुपर फ़ूड भी कहते है | यदि आप भी चिया की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में आपको चिया की खेती कैसे करे  की जानकारी दे रहे है | google photo चिया सीड्स की खेती / Chia Seeds Farming   चिया सीड्स खेती बढ़िया मुनाफा कमाने का वेहतर विकल्प है. क्योकि वर्तमान समय में चिया सीड्स की डिमांड बहुत अधिक है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसकी फसल पर लागत का दोगुना अधिक दाम मिल जाते है. इसलिए चिया सीड्स की खेती किसानो के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है. organic chia Farming in india भारत में चिया की उन्नत खेती  मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और हरियाणा में व्यापक पैमाने पर हो रही है. चिया, दक्षिण अमेरिका के मैक्सि

Foxtail-millet-farming/cangni-ki-javik-kheti

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कंगनी की खेती Foxtail millet farming    कंगनी  एक मोटा अनाज  है जो दूसरी सबसे अधिक बोई जाने वाली फसलों में से एक है। Foxtail millet farming यह एकवर्षीय पौधा होता है जिसका ऊँचाई 4 से 7 फीट तक होती है। इसके बीज बहुत छोटे होते हैं जिनका आकार लगभग 2 मिलीमीटर होता है और इनका रंग किरकिरा में भिन होता है। इन बीजों का छिलका पतला होता है जो आसानी से हट जाता है। भारत में, कंगनी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कुछ हद तक भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उगाया जाता है। इससे रोटी, खीर, चावल, इडली, दलिया, मिठाई और बिस्किट जैसे कई पकवान बनाए जाते हैं। google photo कंगनी की खेती  में जलवायु एवं मिट्टी  Climate and soil in Kangni cultivation जलवायु एवं मिट्टी  कंगनी की फसल Foxtail millet farming अच्छी जल निकास वाली सभी तरह भूमि में ली जा सकती है परंतु हल्की एवं दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम है इसके लिए अधिक उपज भूमि की आवश्यकता नहीं होती बाजरे की खेती गर्म जलवायु तथा कम वर्षा वाले क्षेत्र में की जा सकती है 32 से 37 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उप

Finger-millet-farming/ragi-ki-kheti

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रागी की खेती Finger millet farming  रागी की खेती परिचय ( Finger Millet cultivation introduction)  आमतौर पर मोटे अनाज के लिए किया जाता है | इसे मंडुआ भी बोला जाता है | सामान्य तौर पर रागी का उपयोग अनाज के रूप में होता है,क्योकि यह ना सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि बहुत ही पौष्टिक भी होता है | इससे कई तरह के भारतीय व्यंजन भी बनाये जाते है | इस लेख में रागी की खेती  Finger millet farming कब और कैसे करें ? जानकारी दी गयी है Google Image रागी का वानस्पतिक नाम एलुसानी कोराकैना  है| यह पोएसी कुल का एकबीजपत्रीय पौधा है | रागी को और अन्य अनेक नामों मंडुआ,मकरा.मंडल,रोत्का, फिंगर मिलेट आदि नामों से जाना जाता है| रागी की खेती  अफीका व एशिया के सूखे क्षेत्रों में एक मोटा अनाज के रूप में किया जाता है | यह मूल रूप से इथोपिया के ऊँचे क्षेत्रों का पौधा है, जिसे भारत में लगभग चार हजार वर्ष पूर्व लाया गया था | भारत में कर्नाटक और आन्ध्रप्रदेश में सबसे अधिक रागी उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी अपनाया जाता है और उपभोग भी |यह एक वर्ष में पककर तैयार होता है, इसका भण्डारण करना बेहद सुरक्षित है | तो किसान भाइये आप

Growing-Green-Guide-Organic-Farming-in-India"

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Growing Green Guide Organic Farming in India In the heart of India’s diverse agricultural landscape, there’s a quiet revolution underway — the embrace of organic farming. Growing Green Guide Organic Farming in India "  As I take a stroll small organic farm, I’m reminded of the incredible journey that this method of farming has taken in our country. In this blog post, I want to share with you the importance of organic farming in India and explore key aspects of this eco-conscious approach to agriculture. Google photo Why Organic Farming Matters in India India, with its rich has been a melting pot of traditional farming practices. However, in recent times, concerns about chemical fertilizers and pesticides have given rise to a growing interest in organic farming. Here’s why it matters: 1. Sustainability Organic farming prioritizes sustainability. By avoiding harmful chemicals, it helps maintain soil fertility and preserves biodiversity. It’s a win-win for the environment and our fut

kodo-millet-organic-farming/shree-anna-kodu-jayvik-kheti

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kodo millet organic farming Kodo millet ki jankari es blog me dee ja rahi he कोदो की जैविक खेती परिचय (Introduction to organic farming of Kodo) कोदो की खेती अनाज फसल के लिए की जाती है | इसे कम बारिश वाले क्षेत्रों में मुख्य रूप से उगाया जाता है | भारत और नेपाल के कई हिस्सों में कोदो का उत्पादन किया जाता है | kodo-millet-organic-farming इसकी फसल को शुगर फ्री चावल के तौर पर पहचानते है, तथा धान की खेती की वजह से इसे कम उगाया जाता है | कोदो की खेती कम मेहनत वाली खेती है, जिसकी बुवाई बारिश के मौसम के बाद की जाती है | कोदो का पौधा देखने में बड़ी घास या धान जैसा होता है | जिसमे निकलने वाली फसल को साफ करने पर एक प्रकार के चावल का उत्पादन प्राप्त होता है | जिसे खाने के लिए इस्तेमाल में लाते है | Google photo स्वास्थ में लाभकारी कोदो में पोषण (Kodo Nutrition)  कोदो के दानो में अनेक प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते है, जो हमे अनेक प्रकार गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायता प्रदान करती है | इसमें 65.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 1.4 प्रतिशत वसा की मात्रा पाई जाती है | कोदो मधुमेह, यकृत के रोग और मूत्राशय

pearl-millet-farming/bajra-ki-kheti

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      pearl millet farming/bajra ki kheti   बाजरा की जैविक खेती    Google Image बाजरा की जैविक खेती का परिचय बाजरा दुनिया में व्यापक तौर पर उगाया जाता है यह फसल सूखे को सहन नहीं कर सकती इसलिए ऐसे क्षेत्र में जहां थोड़ी बारिश होती हो वहां स्पेशल की खेती हो सकती है  pearl millet farming  भारत बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है यह चारे के लिए प्रयोग किया जाता है इसके तने का प्रयोग जानवरों के चारे के रूप में किया जाता है भारत में बाजरे का उत्पादन करने वाले क्षेत्र पंजाब राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात उत्तर प्रदेश हरियाणा मध्य प्रदेश कर्नाटक आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु बाजरा मोटेअनाजों में एक मुख्य फसल है भारत दुनिया का घनी बाजरा उत्पादक देश है यह मुख्यतः खरीफ फसल में उगाया जाता है बाजरे का इतिहास प्रोसो बाजरा (पेनीकम मिलिया सिम) एक प्रकार का बाजरा है जो अपने अनाज के लिए उगाया जाता है और दुनिया के कुछ हिस्सों में यह मुख्य भोजन है यह यूरेशिया का मूल निवासी है और चीन भारत और पूर्वी यूरोप में इसकी खेती का एक लंबा इतिहास है यह प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन मुक्त भी है जो इसे सिलीएक रोग या ग्लूटेन असहिष्णुता वाल