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कंगनी की खेती Foxtail millet farming 

 कंगनी  एक मोटा अनाज  है जो दूसरी सबसे अधिक बोई जाने वाली फसलों में से एक है।Foxtail millet farming यह एकवर्षीय पौधा होता है जिसका ऊँचाई 4 से 7 फीट तक होती है। इसके बीज बहुत छोटे होते हैं जिनका आकार लगभग 2 मिलीमीटर होता है और इनका रंग किरकिरा में भिन होता है। इन बीजों का छिलका पतला होता है जो आसानी से हट जाता है। भारत में, कंगनी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कुछ हद तक भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उगाया जाता है। इससे रोटी, खीर, चावल, इडली, दलिया, मिठाई और बिस्किट जैसे कई पकवान बनाए जाते हैं।

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कंगनी की खेती  में जलवायु एवं मिट्टी Climate and soil in Kangni cultivation

जलवायु एवं मिट्टी  कंगनी की फसल Foxtail millet farmingअच्छी जल निकास वाली सभी तरह भूमि में ली जा सकती है परंतु हल्की एवं दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम है इसके लिए अधिक उपज भूमि की आवश्यकता नहीं होती बाजरे की खेती गर्म जलवायु तथा कम वर्षा वाले क्षेत्र में की जा सकती है 32 से 37 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त माना गया है

कंगनी की उन्नतशील किस्म Improved type of cornice

1 Andhra Pradesh SiA 3088, SiA 3156, SiA 3085, Lepakshi, SiA 326

2. Karnataka SiA 326, HMT 100-1 and PS 4, Sreelaxmi, KO 12, Narasimharaya, SiA 3088, SiA 3156

3. Tamil Nadu TNAU 196 and TNAU 43, CO (Ten) 7,TNAU 186, CO 1, CO 2, CO 4, CO 5, K2, K3

4. Rajasthan Prathap Kangani (SR 1) and SR 51, SR 11, Sreelaxmi, SR 16, SiA 3085

5. Uttar Pradesh PRK 1 and PS 4, SiA 3088, 3085, Sreelaxmi, Narasimharaya, S-114, SiA 326

6. Uttarakhand PS 4 and PRK 1, Sreelaxmi, SiA 326

कंगनी की खेती के लिए बीज की मात्रा

बुवाई के लिए,  कंगनी फसल Foxtail millet farming के लिए 800 ग्राम प्रति एकड़ और सीधी बिजाई के लिए 2.5 से 3 किलोग्राम प्रति एकड़ की बीज आवश्यक होती है।

कंगनी का बीज उपचार कैसे करे ? (How to do seed treatment of Kangni)

इसके हल्के बीजों को निकालने के लिए आप 2 प्रतिशत नमक के घोल में इसको डाल देंगे फिर उसके बीजों को अच्छी तरह से हिला लें, जो बीज पानी में ऊपर आ जाएंगे उनको आपको निकाल देना हैं, और जो बीज नीचे रह गए हैं, उनको साफ पानी से धोकर सुखा लेना है। जिसे आपके बीज अच्छे रहे खराब ना हो।

बीज बिजाई से पहले 12 घंटे तक पानी और कच्चे दूध के मिश्रण में भिगोया जाना चाहिए। एक लीटर पानी में देसी गाय के एक गिलास ताजा दूध (बिना उबला हुआ मिलाया गया) डालकर इसमें बीज 10-12 घंटे भिगोने के बाद उनको छानकर सुखा लें और फिर उन्हें बिजाई कअप्रैल से जुलाई के बीच कंगनी की बिजाई की जा सकती है। कंगनी की फसल का उचाई 2.5 से 3 फुट होती है और पकने के लिए 80 से 100 दिन की अवधि लगती है। कंगनी की रें

कंगनी की खेती  में सिंचाई (Irrigation in Kangni farming)

अगर आप मूल अनाजों को बेहतर तरीके से उगाना चाहते हैं, Foxtail millet farming  तो आपको ध्यान देना होगा कि इन्हें उन्नत तरीकों से खेत में लगाया जाना चाहिए। इसके लिए आपको मिट्टी की नमी की जांच करनी होगी ताकि आप इन्हें उचित मात्रा में सिंचाई कर सकें। आपको बारिश के मौसम को भी ध्यान में रखना होगा, क्योंकि अधिक वर्षा के मौसम में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, आपको सिंचाई के दौरान गुड़ जल अमृत या वेस्ट डीकॉम्पोसर का पोल छोड़ना चाहिए ताकि मिट्टी में आवश्यक मिनरल और पोषक तत्व उपलब्ध हो सकें। ध्यान रखें कि आपको इन अनाजों को कम से कम पानी लगाकर पकाना चाहिए ताकि वे अधिक उपजाऊ हो सकें।

कंगनी की खेती  में निराई और गुड़ाई (Weeding in Kangni farming)

यदि आपको कंगनी के अनाज का उत्पादन अधिक चाहिए तो इसको बोने के 30 से 40 दिन बाद इसकी एक बार निराई-गुड़ाई और छंटाई अच्छे से करना जरूरी होता है जिससे की फसल अच्छी तरह से लगी रहे और कंगनी के पौधों को कोई नुकसान ना हो। यदि आप इसकी छटाई नहीं करेंगे इसको साफ नहीं करेंगे तो आपकी फसल खराब भी हो सकती है।

एक एकड़ में उत्पादित दाने की मात्रा 6-7 क्वांटिटी होती है जबकि चारा 8-16 क्वांटिटी मिलता है।

कँगनी के सेवन से क्या फायदे है –What are the benefits of consuming Kangni?

यदि आप बहुत अधिक मोटे हैं, ओर आपको अपने शरीर का वजन कम करना है, तो आप इसका उपयोग कर सकते है, ओर यदि आपको नर्वस सिस्टम से जुड़ी कोई समस्या है, तो भी आप कंगनी का सेवन करे यह बहुत फायदेमंद होता है।

कँगनी मे कौन से पौष्टिक गुण है – (foxtail millet nutrition)

कंगनी की फ़सल पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती हैं, जो की पहाड़ी क्षेत्रों की एक पारंपरिक फसल है, इसमें कई पौष्टिक गुण पाए जाते हैं, जैसे की….

विटामिन B1, B2, B3,

बीटा कैरोटीन, पोटेशियम,

एल्कलॉइड, फेनोलिक्स,

टॉनिन्स, फलवोनॉइड्स,

क्लोरीन और जिंक

उपसंहार (Conclusion)

कंगनी की जैविक खेती  Foxtail millet farming मैं बुवाई से लेकर कटाई तक संपूर्ण जानकारी दी गई है  कंगनी एक सुपर फूड है विश्व बाजार में इसकी बढ़ती हुई मांग को देखते हुए इसकी खेती लाभ का सौदा है मुझे आशा है कि इसलिए को पढ़ने के बाद आपको  कंगनी की फसल के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी साथ ही इस लेख को पढ़कर खेती में  कंगनी भोकर फायदा कमा सकते हैं दिए गए लेख में अगर आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो देख को लाइक करें और अपने दोस्त मित्रों सहयोगी तक शेयर करें इससे संबंधित अगर आप कोई और जानकारी चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे

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