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अगस्त 18, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

zero-budget-natural-farming/prakritik-kheti

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  जीरो बजट प्राकृतिक खेती  जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग मूल रूप से महाराष्ट्र की एक किसान सुभाष पालेकर द्वारा विकसित रसायन मुक्त कृषि का एक रूप है यह विधि कृषि की पारंपरिक भारतीय प्रथाओं पर आधारित है इस zero budget natural farming खेती के जानकारों का कहना है कि यह खेती देसी गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधारित है जीरो बजट प्राकृतिक खेती क्या है सुभाष पालेकर की जीरो बजट फार्मिंग प्राकृतिक खेती में कृषि लागत उर्वरक कीटनाशक और गहन सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती जिससे कृषि लागत में आश्चर्य जनक रूप से गिरावट आती है इसलिए zero budget natural farming इसे जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का नाम दिया गया है इसके अंतर्गत घरेलू संसाधनों द्वारा विकसित प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें किसानों को किसी भी फसल को उगाने में कम खर्च आता है और कम लागत लगने के कारण उसे फसल का किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का आधार है जीवामृत यह गाय के गोबर मूत्र और पत्तियों से तैयार कीटनाशक का मिक्सर है सुभाष पालिकारी कृषि वैज्ञानिक हैं और उन्होंने पारंपरिक भारतीय कृषि प्रथाओं को लेकर कई

flax-seed-farming-in-India

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                                                   अलसी के फायदे                      अलसी   अलसी क्या है हिंदी में -   flax seed farming in India भारतवर्ष में अलसी की खेती के साथ की जाती है हिमाचल प्रदेश में भी 6000 फुट की जमीन तक अलसी बोई देश में जगह-जगह पाई जाती है अलसी के बीज के रंग रूप और आकार में अंतर सफेद, धूसर, धूसर में पाए जाते हैं इसके कई प्रकार के बीज प्राप्त होते हैं। अलसी के बारे में-   वैज्ञानिक नाम लिनम यूसिटेटिसियम लिनम यूसिटेटिसियम कुल नाम - लिनेसी लिनेसी अंग्रेजी नाम - लिनेसी फ्लैक्स सीडलिनसी फ्लैक्स सीड   संस्कृत नाम-- अलसी, नील पुष्प, उमा, अतसी,  हिंदी नाम - अलसी, तीसी अलसी का स्वरूप -  इसका पौधा 2-4 फुट ऊंचा सीधा व कोमल होता है। flax seed farming in India पत्र रेखा कर भला कर नौकरी वा फलक तीन शहरों से युक्त होता है। फूल सुन्दर आकाशीय रंग के फल गोल गुनेदार पंचकोष्ठी, हर दरबार में काली चक्के गाड़ी भूरे रंग के दो बीज होते हैं शीतकाल में पुष्प और फल मिलते हैं फरवरी-मार्च में फल सुख मिलते हैं अलसी के तासीर      अलसी के बीज flax seed farming in India में एक स्थित तेल

Urban-farming-agriculture-in-Hindi

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  शहरी खेती क्या है Urban farming agriculture in Hindi शहरी खेती घनी आबादी केवल आबादी वाले क्षेत्र में भोजन की खेती या उत्पादन की प्रथम है इसमें छत पर एवं ब्रांडी में हम गार्डनिंग के नाम से जाना जाता है शहरी खेती को मुख्य रूप से बाजार में बेचने के लिए बढ़ती फसलों फलों सब्जियों एवं मां फसलों के आधार पर परिभाषित किया गया है निर्वाह खेती शहरी बागवानी यह विभिन्न तरीकों से अर्थव्यवस्था में लोगों की सामुदायिक मदद करती है शहरी बागवानी ताज उपज प्रदान करती है जो एक स्वस्थ जीवन शैली के साथ-साथ अन्य वस्तुओं का समर्थन करती है इसके अतिरिक्त यह आए उत्पादन और लघु व्यवसाय विस्तार को बढ़ावा देती है ताजा भोजन अधिक के फायदे बनाना Urban farming agriculture in hindi शहरी कृषि का प्रमुख लाभ है धीरे-धीरे यह लोगों की फैशन बन चुका है शहरी खेती महत्वपूर्ण क्यों है शहरी खेती  Urban farming agriculture in hindi उन लोगों को महत्वपूर्ण है जो शहर छोड़ने एवं ग्रामीण भूखंड खरीदने में सक्षम नहीं है और इनका किसानी करने का शौक या जुनून है शहरी फॉर्म किसान बाजारों के माध्यम से सीधे होटल या सुपरमार्केट में अपने उत्पाद क

organic-farming-history/जैविक खेती का इतिहास

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  Organic farming history/जैविक खेती का इतिहास जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कहा कि जैविक खेती प्राकृतिक की खेती के श्रेणी में आता है जहाँ सबकुछ आसानी से मिल जाता है।उन्होंने कहा कि जैविक खेती को आधार बनाकर युवा अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते है।क्योंकि रसायनिक खेती प्रभाव से उतपन्न समस्या के समाधान के लिए लोग जैविक खेती की ओर उम्मीद भरी निगाह से देख रहे है organic farming history जिसका नतीजा है कि आनेवाले दिनों जैविक खेती में स्वरोजगार की सम्भावना दिखाई दे रहा है।जिसमे जैविक खाद:ऐसे खाद जिसमे सुक्ष्मजीवों का एक बहुत बड़ा योग्दान रहता है, प्राकृति के अंदर कई प्रकार के अवशिष्ट पदार्थ होते है।जिसमे घर के अवशिष्ट पदार्थ और पशु से जो अवशिष्ट पदार्थ निकले अपशिष्ट शामिल है। जैविक खेती पर निर्भर Dependent on organic farming जैविक खेती की जड़ें organic farming history मानव कृषि इतिहास की मिट्टी में गहराई से जांच करती हैं। हम अपने पूर्वजों के शिकार और सभा से स्थानांतरित करने के बाद प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिक प्रक्रियाओं पर 99% समय से निर्भर हैं और कुछ 10,000 साल पहले पौधों और जानवरों

Land-preparation-in-organic-farming / Organic Farming Me Jameen Kee Taiyari

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    आर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत करने से पहले निम्नलिखित कार्य भूमि सुधार के लिए करना जरुरी है जिसकी जानकारी  1. जमीन की परीक्षण  सबसे पहले , Organic Farming Me Jameen Kee Taiyari जमीन की गुणवत्ता और पोषण स्तर की जांच करें। जमीन की संरचना , पीएच और वाटर रिटेंशन , उपादानों और कीटनाशकों के स्तर का मूल्यांकन करें। 2. कंपोस्ट या गोबर की जोड़ :   यदि जमीन का पोषण स्तर कम है , तो आपको कंपोस्ट या गोबर (खाद) की जोड़ करनी चाहिए। यह सूपवस्त्रों को टिकाए रखने में मदद करेगा और उपादानों को बढ़ाएगा। 3. जमीन में पर्याप्त पानी की व्यवस्था : जमीन को आराम से सिंचाई के लिए तैयार करें। जल संचयन और बौछार आदि का उपयोग करके पानी की बचत के लिए उपाय चिंतन करें। 4 . जड़ों और रिसायकलिंग  Organic Farming Me Jameen Kee Taiyari  को उचित समर्थन प्रदान करने के लिए बारीकी से जड़ों को हटाएं और कम्पोस्ट में परिवर्तित करें। 5 . कीटनाशकों की रोकथाम    ऑर्गेनिक फार्मिंग में कीटनाशकों का उपयोग प्रतिबंधित होता है। इसलिए , प्राकृतिक तरीकों से कीटों और रोगों को नियंत्रित करने का प्रयास करें। 6. आवश्यक सामग्री डालना : जरूरत

Crop-diversity-in-organic-farming/ जैविक खेती में फसल विविधिता

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  फसल विविधिता की आवश्यकता  need for crop diversification Google photo मौजूदा वक्त में ज्यादातर किसान बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए पारंपरिक फसलों की खेती के दौरान अत्यधिक मात्रा में बीज, खाद, कीटनाशक, खरपतवारनाशक और फफूंदनाशी का प्रयोग कर रहे हैं. इससे कीट और खरपतवार में धीरे-धीरे उनके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती जा रही है. इससे फसलों के उपज पर भी प्रभाव पड़ रहा है. इसके अलावा अंधाधुंध उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति, जल एवं वातावरण पर भी प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही किसानों की कृषि लागत भी बढ़ रही है. ऐसे में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए Crop diversity in organic farming फसल विविधिकरण की आवश्यकता है. फसल विविधिकरण के माध्यम से इन सारी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.  फसल विविधीता को बढ़ावा promote crop diversification केंद्र सरकार के अलावा कई राज्य सरकारें देश में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम कर रही हैं. वहीं फसल विविधीकरण के जरिए इसके लिए जमीन तैयार की जा रही है. सरकार की यह कोशिश है कि देश के किसान न सिर्फ पारंपरिक फसलों की