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जीरो बजट प्राकृतिक खेती 

जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग मूल रूप से महाराष्ट्र की एक किसान सुभाष पालेकर द्वारा विकसित रसायन मुक्त कृषि का एक रूप है यह विधि कृषि की पारंपरिक भारतीय प्रथाओं पर आधारित है इस zero budget natural farming खेती के जानकारों का कहना है कि यह खेती देसी गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधारित है

जीरो बजट प्राकृतिक खेती क्या है

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सुभाष पालेकर की जीरो बजट फार्मिंग प्राकृतिक खेती में कृषि लागत उर्वरक कीटनाशक और गहन सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती जिससे कृषि लागत में आश्चर्य जनक रूप से गिरावट आती है इसलिए zero budget natural farming इसे जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का नाम दिया गया है इसके अंतर्गत घरेलू संसाधनों द्वारा विकसित प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें किसानों को किसी भी फसल को उगाने में कम खर्च आता है और कम लागत लगने के कारण उसे फसल का किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का आधार है जीवामृत यह गाय के गोबर मूत्र और पत्तियों से तैयार कीटनाशक का मिक्सर है सुभाष पालिकारी कृषि वैज्ञानिक हैं और उन्होंने पारंपरिक भारतीय कृषि प्रथाओं को लेकर कई रिसर्च की हुई हैं इन रिसर्चों की मदद से ही इन्होंने जीरो बजट प्राकृतिक खेती किस प्रकार से की जाती है इस पर अध्ययन किया है अध्ययन के बाद उन्हें 60 से अधिक विभिन्न भारतीय भाषाओं में जीरो बजट प्राकृतिक खेती के ऊपर किताबें भी लिख रखी हैं

जीरो बजट प्राकृतिक खेती में प्रमुख के  चार घटक

जीवामृत

इसमें देसी गाय का को बार गोमूत्र दूसरी घरेलू सामग्री जैसे गोल दाल का आता साफ संजीव मिट्टी मिलाकर तैयार गोल का प्रयोग होता है मिश्रण जमीन के सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या को बढ़ाता है यह परंपरागत खेती से भी भिन्न होती है क्योंकि इसमें गाय के गोबर गोमूत्र को जैविक खाद की तरह ही एक जब चमक की भांति इस्तेमाल करते हैं इसमें सूक्ष्म जीवाणु कैदियों की संख्या और गतिविधियों को अच्छी तरह तक बढ़ता है इस प्रकार से जमीन की पोषक तत्व फसल को आसानी से मिलते हैं साथ ही फसल एवं पौधों को नुकसान दायक जीवाणुओं से सुरक्षा एवं जमीन में जैविक कार्बन में वृद्धि होती है

बीज अमृत

 इसमें गाय का गोबर गोमूत्र एवं बुझे हुए चूने से बने घटक के इस्तेमाल से बीज एवं पौधों की जड़ों पर सूक्ष्म आधारित लेप लगाकर इसकी जीवन जड़ों को भी जटवा जमीन से जल में रोगों से सुरक्षा मिलती है बिजामृत के इस्तेमाल से फसल के बीज के अंकुरण क्षमता एवं महत्वपूर्ण बढ़ोतरी देखने को मिलती है

मल्चिंग या क्रॉप कबर 

इसमें मिट्टी में मौजूद नमी की सुरक्षा के लिए इसके ऊपर की सतह पर दूसरी फसल के अवशेष ढाक देते हैं इस प्रकार की विधि से ह्यूमस में बढ़ोतरी होती है जमीन में जल संग्रहण क्षमता वृद्धि सुख जीवाणुओं एवं पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों में वृद्धि और खरपतवार में रोकथाम होती है

जमीन में वायु का प्रवाह

भूमि में जीवामृत का उपयोग एवं फसल के अवशेषों का उच्चारण का परिणाम होता है कि जीवामृत के इस्तेमाल एवं अच्छा धन करने से जमीन की संरचना सुधार आता है और तेजी से हमस का निर्माण होता है अंत में इसके परिणाम स्वरुप जमीन में उत्तम जल प्रबंधन की प्रक्रिया शुरू होती है खेती ना तो बारिश तूफान में फसल गिरती है और ना ही सुख में परेशान होता है

जीरो बजट खेती के फायदे

जीरो बजट खेती (Zero Budget Farming) एक प्रकार की कृषि प्रणाली है जिसमें किसान बिना केमिकल खादों और पेस्टिसाइड्स के कृषि करते हैं। इस प्रणाली के फायदे कुछ निम्नलिखित हो सकते हैं:

सस्ते उपयोगी सामग्री:

जीरो बजट खेती में केमिकल खादों और पेस्टिसाइड्स की आवश्यकता नहीं होती, इससे किसानों की लागतें कम होती हैं और उन्हें सस्ते उपयोगी सामग्री की आवश्यकता नहीं होती।

पोषण मूल्य: 

जीरो बजट खेती में उत्पादित फसलों का पोषण मूल्य बेहतर हो सकता है, क्योंकि ये फसलें केमिकलों से मुक्त होती हैं और वाणिज्यिक बाजार में मूल्य मिल सकता है।

सुगम प्रबंधन 

जीरो बजट खेती के तहत, बायो-फर्टिलाइजर्स, मुल्चिंग, और जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है, जो सुगम और सांवादिक तरीके से फसलों का प्रबंधन करने में मदद कर सकते हैं।

प्राकृतिक संतुलन: 

जीरो बजट खेती के तहत खेती में प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है, जिससे पेड़-पौधों और कीट-रोगों के बीच एक संतुलन बनता है और फसल के लिए अधिक स्वस्थ माहौल पैदा होता है।

पृथ्वी संरक्षण: 

जीरो बजट खेती के तहत जलवायु परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अफसोसनाक प्रभावों को कम करने का प्रयास किया जाता है, जिससे पृथ्वी संरक्षण की दिशा में एक प्राकृतिक योगदान मिल सकता है।

बेहतर स्वास्थ्य:

 जीरो बजट खेती से उत्पादित खाद्य पदार्थों में केमिकल रेसिड्यू प्रामाणिक स्तर पर कम होते हैं, जिससे खाने का स्वास्थ्यिक मानकों का पालन करने में मदद मिल सकती है।

जल संरक्षण:

 इस प्रणाली में जल संप्रेषण कम होता है, क्योंकि इसमें खादों के प्रयोग में कमी होती है और जल संप्रेषण को रोकने के लिए जल संचालन के प्रौद्योगिकी उपायों का उपयोग किया जाता है।

सामृद्धि का संरचना: जीरो बजट खेती के तहत किसान अपनी खेती को सामृद्धि के संरचना में बदल सकते हैं, 

उपसंहार

इस ब्लॉक में जीरो बजट खेती के बारे में जानकारी दी गई है जो की एक किसान के लिए लाभदायक है कृषि योग कृषि उत्पादों के घटते हुए रेट के इस समय में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्राकृतिक जीरो बजट खेती की जाए जिससे खेती में लगने वाले खर्च को कम किया जा सकता है एवं खाद्यान्न की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण बाजार में उच्च रेट पर विक्रय किया जा सकता है जिससे किसान की आर्थिक हालात सुधर सकती है इसलिए कि मैं दी गई जानकारी कैसी लगी कृपया कमेंट में लिखना ना भूले साथी अच्छी लगी हो तो लाइक करें और लोगों को जानकारी के लिए पोस्ट शेयर करें


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