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Kodo millet ki jankari es blog me dee ja rahi he

कोदो की जैविक खेती परिचय (Introduction to organic farming of Kodo)

कोदो की खेती अनाज फसल के लिए की जाती है | इसे कम बारिश वाले क्षेत्रों में मुख्य रूप से उगाया जाता है | भारत और नेपाल के कई हिस्सों में कोदो का उत्पादन किया जाता है |kodo-millet-organic-farming इसकी फसल को शुगर फ्री चावल के तौर पर पहचानते है, तथा धान की खेती की वजह से इसे कम उगाया जाता है | कोदो की खेती कम मेहनत वाली खेती है, जिसकी बुवाई बारिश के मौसम के बाद की जाती है | कोदो का पौधा देखने में बड़ी घास या धान जैसा होता है | जिसमे निकलने वाली फसल को साफ करने पर एक प्रकार के चावल का उत्पादन प्राप्त होता है | जिसे खाने के लिए इस्तेमाल में लाते है |

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स्वास्थ में लाभकारी कोदो में पोषण (Kodo Nutrition)

 कोदो के दानो में अनेक प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते है, जो हमे अनेक प्रकार गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायता प्रदान करती है | इसमें 65.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 1.4 प्रतिशत वसा की मात्रा पाई जाती है | कोदो मधुमेह, यकृत के रोग और मूत्राशय संबंधित रोगो में लाभ पहुंचाता है | वैज्ञानिको के अनुसार कोदो का सेवन करने से लिवर, एनीमिया, डायबिटीज और अस्थमा मोटापे से संबंधित समस्याओ से जुड़े महत्वपूर्ण गुण होते है | इसमें जिंक, फाइबर, प्रोटीन, फोलिक एसिड, कैल्शियम, बी कॉम्प्लेक्स, प्रोटीन, अमीनो एसिड, विटामिन ई, कॉपर, मैग्निशियम, फास्फोरस और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में उपस्थित होता है |

कोदो की उन्नत किस्में (Kodo Improved Varieties)

कोदो जवाहर कोदों 48 (डिण्डौरी – 48) 95-100 दिन इसका पौधा 55-60 CM ऊँचा होता है| 23-24 क्विंटल

जवाहरकोदों – 439 100-105 दिन यह किस्म विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में उगाई जाती है| जिसमे सूखा सहन करने की क्षमता होती है, तथा पौधा 55-60 CM ऊँचा होता है|        20-22 क्विंटल

जवाहरकोदों – 41 105-108 दिन इसमें पौधा 60 से 65 CM ऊँचा होता है, जिसमे हल्के भूरे रंग के दाने निकलते है|            19-22 क्विंटल

जवाहरकोदों – 62 50-55 दिन इस किस्म में पत्ती धारी रोग नहीं लगता है, जिसे कम उपजाऊ भूमि में भी आसानी से उगा सकते है| इसका पोधा 90 से 95  CM ऊँचा होता है| 20-22 क्विंटल

जवाहर कोदों – 76 85-90 दिन यह किस्म मक्खी के प्रकोप से मुक्त रहती है| 16-18 क्विंटल

जी.पी.यू.के.- 3 100-105 दिन इस किस्म को पूरे भारत में उगाया जाता है, जिसमे गहरे भूरे रंग का दाना निकलता है, और पोधा 55-60 CM ऊँचा होता है 22-25 क्विंटल

कोदो की बीज बुवाई का तरीका व समय (Kodo Seeds Sowing  Method)

वर्षा आरंभ होने के तुरंत बाद लघु धान्य फसलों की बोनी कर देना चाहिये। षीघ्र बोनी करने से उपज अच्छी प्राप्त होती है एवं रोग, कीट का प्रभाव कम होता है। कोदों में सूखी बोनी मानसून आने के दस दिन पूर्व करने पर उपज में अन्य विधियों से अधिक उपज प्राप्त होती है। जुलाई के अन्त में बोनी करने से तना मक्खी कीट का प्रकोप बढ़ता है। बोनी से पूर्व बीज को मेन्कोजेब या थायरम दवा 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजोपचार करें। ऐसा करने से बीज जनित रोगों एवं कुछ हद तक मिट्टी जनित रोगों से फसल की सुरक्षा होती है। कतारों में बोनी करने पर कतार से कतार की दूरी 20-25 से.मी. तथा पौधों से पौधों की दूरी 7 से.मी. उपयुक्त पाई गई है। इसकी बोनी 2-3 से.मी. गहराई पर की जानी चाहिये। कोदों में 6-8 लाख एवं कुटकी में 8-9 लाख पौधे प्रति हेक्टेयर होना चाहिये

खाद एवं उर्वरक का उपयोग-(Kodo Crop Manure and Fertilizer)

अधिकतर किसान इन लघु धान्य फसलों में उर्वरक का प्रयोग नहीं करते हैं। किंतु कुटकी के लिये 20 किलो नत्रजन 20 किलो स्फुर हेक्टे. तथा कोदों के लिये 40 किलो नत्रजन व 20 किलो स्फुर प्रति हेक्टेयर का उपयोग करने से उपज में वृद्धि होती है। उपरोक्त नत्रजन की आधी मात्रा व स्फुर की पूरी मात्रा व स्फुर की मात्रा बुवाई के समय एवं नत्रजन की शेष आधी मात्रा बुवाई के तीन सप्ताह के अंदर निंदाई के बाद होना चाहिये। बुवाई के समय पी.एस.बी. जैव उर्वरक 4 से 5 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से 100 किग्रा. मिट्टी अथवा कम्पोस्ट के साथ मिलाकर प्रयोग करें।

निंदाई गुडाई –(Kodo Crop Weed Control)

बुवाई के 20-30 दिन के अंदर एक बार हाथ से निंदाई करना चाहिये तथा जहां पौधे न उगे हों वहां पर अधिक घने उगे पौधों को उखाडकर रोपाई करके पौधों की संख्या उपयुक्त करना चाहिये। यह कार्य 20-25 दिनों के अंदर कर ही लेना चाहिये। यह कार्य पानी गिरते समय सर्वोत्तम होता है।

फसल की कटाई गहाई एवं भंडारण –Crop harvesting, threshing and storage –

फसल पकने पर कोदों व कुटकी को जमीन की सतह के ऊपर कटाई करें। खलियान में रखकर सुखाकर बैलों से गहाई करें। उडावनी करके दाना अलग करें। दानों को धूप में सुखाकर (12 प्रतिशत) भण्डारण करें

कोदो-कुटकी का रेट (Kodo-Kutki Rate)

कोदो कुटकी की उन्नत किस्में 60 से 65 दिन बाद पैदावार देना आरम्भ कर देती है, जिससे किस्म के आधार पर उत्पादन प्राप्त हो जाता है | कुटकी का बाज़ारी भाव छिलके सहित 30 रूपए प्रति किलो होता है, तथा बिना छिलका साफ करके इसकी कीमत 50 से 60 रूपए प्रति किलो तक हो जाती है | सामान्य तौर पर कुटकी का रेट बाजार के व्यापारी ही तय करते है, जिस वजह से इसकी अच्छी कीमत मिल पाना थोड़ा मुश्किल होता है |

कोदो की जैविक खेती से पैदावार (Yield from organic farming of Kodo)

कोदो बाजार की खेती की उपज कई कारकों के आधार पर काफी विभिन्न हो सकती है जिसमें मिट्टी की गुणवत्ता सिंचाई की मात्रा बढ़ते मौसम के दौरान मौसम की स्थिति और किस द्वारा नियोजित खेती के तरीके शामिल है औसतन को दो की पैदावार डेढ़ से 3:30 टन प्रति हेक्टर तक हो सकती है कुछ मामलों में फसल ज्यादा या कम हो सकती है

उपसंहार 

कोदो की जैविक खेती अनाज फसल के लिए की जाती है इसके विषय में जो जानकारी आपको दी गई है उसमें कोदू की जैविक खेती परिचय एवं स्वास्थ्य के लिए लाभकारी पोषण एवं उसकी विभिन्न किस्म और उसकी पूरी तकनीकी ऑर्गेनिक तरीके से खेती कैसे की जाती है इसकी संपूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है या लेखक आपको पसंद आए तो इसको लाइक और शेयर जरूर करें और हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए और जानकारी प्राप्त करने के लिए कमेंट लिखे

 

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