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organic peas farming in Hindi  हरी मटर की खेती मटर का उपयोग एक मल्टी अनाज के रूप में किया जाता है । इसके फलियों से निकलने वाले हरे दाने सब्जी के रूप में तथा सूखे दाने का प्रयोग सब्जी,दाल,सूप व मिक्स रोटी के रूप में किया जाता है । उत्तर भारत में हरी मटर की दाल चाट बनाने में भी किया जाता है | हरे मटर के दानों को डिब्बों में परिरक्षित कर लम्बे समय तक उपयोग में लाते हैं  । हरी मटर की खेती के लिए कृषि जलवायु संबंधी आवश्यकताएँ किस्मों के चयन के अलावा,मटर की खेती के लिए कृषि जलवायु की आवश्यकता भी एक महत्वपूर्ण कारक है जो उपज को सीधे प्रभावित करता है। अतः उपयुक्त जलवायु परिस्थितियों में Organic Peas Farming in Hindi मटर की खेती करने से आपको बेहतर लाभ प्राप्त होगा। इसलिए, इसका ध्यान रखें क्योंकि कृषि जलवायु की स्थिति बुवाई, फसल चक्र आदि का समय तय करती है। हरी मटर ठंडी और नम जगहों पर सबसे अच्छी तरह पनपती है। अस्थायी रूप से; मटर की खेती के लिए 12 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान आदर्श माना जाता है। 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर, आपकी खेती में मटर का खराब उत्पादन हो सकता है। फूल

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  चिया सीड्स की खेती परिचय  Chia seeds cultivation introduction चिया के बीजो में ओमेगा फैटी एसिड की भरपूर मात्रा पाया जाता है | इसके अलावा चिया में फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन और अनेक मिनरल्स जैसे पोषक तत्व मौजूद होते है | जिस वजह से चिया का सेवन शरीर व दिल को बीमारियों से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है | स्वास्थ के लिए अधिक लाभकारी होने के चलते है, विदेशो में इसे सुपर फ़ूड भी कहते है | यदि आप भी चिया की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में आपको चिया की खेती कैसे करे  की जानकारी दे रहे है | google photo चिया सीड्स की खेती / Chia Seeds Farming   चिया सीड्स खेती बढ़िया मुनाफा कमाने का वेहतर विकल्प है. क्योकि वर्तमान समय में चिया सीड्स की डिमांड बहुत अधिक है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसकी फसल पर लागत का दोगुना अधिक दाम मिल जाते है. इसलिए चिया सीड्स की खेती किसानो के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है. organic chia Farming in india भारत में चिया की उन्नत खेती  मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और हरियाणा में व्यापक पैमाने पर हो रही है. चिया, दक्षिण अमेरिका के मैक्सि

Foxtail-millet-farming/cangni-ki-javik-kheti

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कंगनी की खेती Foxtail millet farming    कंगनी  एक मोटा अनाज  है जो दूसरी सबसे अधिक बोई जाने वाली फसलों में से एक है। Foxtail millet farming यह एकवर्षीय पौधा होता है जिसका ऊँचाई 4 से 7 फीट तक होती है। इसके बीज बहुत छोटे होते हैं जिनका आकार लगभग 2 मिलीमीटर होता है और इनका रंग किरकिरा में भिन होता है। इन बीजों का छिलका पतला होता है जो आसानी से हट जाता है। भारत में, कंगनी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कुछ हद तक भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उगाया जाता है। इससे रोटी, खीर, चावल, इडली, दलिया, मिठाई और बिस्किट जैसे कई पकवान बनाए जाते हैं। google photo कंगनी की खेती  में जलवायु एवं मिट्टी  Climate and soil in Kangni cultivation जलवायु एवं मिट्टी  कंगनी की फसल Foxtail millet farming अच्छी जल निकास वाली सभी तरह भूमि में ली जा सकती है परंतु हल्की एवं दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम है इसके लिए अधिक उपज भूमि की आवश्यकता नहीं होती बाजरे की खेती गर्म जलवायु तथा कम वर्षा वाले क्षेत्र में की जा सकती है 32 से 37 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उप

Finger-millet-farming/ragi-ki-kheti

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रागी की खेती Finger millet farming  रागी की खेती परिचय ( Finger Millet cultivation introduction)  आमतौर पर मोटे अनाज के लिए किया जाता है | इसे मंडुआ भी बोला जाता है | सामान्य तौर पर रागी का उपयोग अनाज के रूप में होता है,क्योकि यह ना सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि बहुत ही पौष्टिक भी होता है | इससे कई तरह के भारतीय व्यंजन भी बनाये जाते है | इस लेख में रागी की खेती  Finger millet farming कब और कैसे करें ? जानकारी दी गयी है Google Image रागी का वानस्पतिक नाम एलुसानी कोराकैना  है| यह पोएसी कुल का एकबीजपत्रीय पौधा है | रागी को और अन्य अनेक नामों मंडुआ,मकरा.मंडल,रोत्का, फिंगर मिलेट आदि नामों से जाना जाता है| रागी की खेती  अफीका व एशिया के सूखे क्षेत्रों में एक मोटा अनाज के रूप में किया जाता है | यह मूल रूप से इथोपिया के ऊँचे क्षेत्रों का पौधा है, जिसे भारत में लगभग चार हजार वर्ष पूर्व लाया गया था | भारत में कर्नाटक और आन्ध्रप्रदेश में सबसे अधिक रागी उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी अपनाया जाता है और उपभोग भी |यह एक वर्ष में पककर तैयार होता है, इसका भण्डारण करना बेहद सुरक्षित है | तो किसान भाइये आप