Arhar-ki-javik-kheti

 

अरहर की खेती का परिचय

इस लेख में हमArhar-ki-javik-kheti अरहर की खेती के विषय में संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं तुवर एक दलहनी प्रमुख फसल है यह खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली फसल है इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होने से भोजन की थाली का महत्वपूर्ण स्थान है तुवर दाल की बाजार में अधिक मांग होने से महत्व बढ़ जाता है इसकी जैविक खेती के विषय में हम आपके संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं जिसका उपयोग करके आप एक नगद फसल के रूप में उगा सकते हैं

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अरहर की खेती में भूमि की तैयारी

गर्मियों में जमीन की पलाऊ द्वारा गहरी जुताई करके रोटरी द्वारा जमीन को जमीन को घर-गोरी बना ली जाती है जुदाई के समय सड़ी हुई गोबर की खाद का  पर्याप्त मात्रा जमीन में मिला देना चाहिए

अरहर  की उन्नतशील किस्म

RVICPH 2671: ये पहली सीएमएस आधारित भूरी अरहर की शंकर किस्म है। इसकी फसल अवधि 164 से 184 दिनों की होती है , इस किस्म की दाल में प्रोटीन की मात्रा 24.7 % होती है, इसकी औसत उपज 22 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं।

 

पूसा 9: इस किस्म की अवधि 260 से 270 दिनों की होती हैं, जिसकी बुआई जुलाई से सिंतम्बर तक की जाती है इसकी औसत उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

 

JKM 189: अरहर की इस किस्म में हरी फलिया व काली धारियों के साथ लाल व भूरा बड़ा दाना होता है। ये किस्म देर से बुवाई के लिए भी उपयुक्त हैं। इसकी औसत उपज 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

 

पूसा अगेती: अरहर की इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी व दाना मोटा होता हैं। यह किस्म 150 से 160 दिनों में पक जाती है व कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 1 टन प्रति हेक्टेयर होती है।

 

ICPL 87: इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी होती हैं, सामान्यत:  इसकी ऊंचाई 90 से 100 सेन्टीमीटर की होती है। इसकी अवधि 140 से 150 की होती हैं। अरहर की इस किस्म में फलियां मोटी एवं लम्बी होती हैं और गुच्छों में आती हैं तथा एक साथ पकती हैं। औसत उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं।


TJT 501: ये किस्म मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 145 से 155 दिन में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इसकी औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।

 

ICPL 151: इस किस्म की खास बात ये है कि ये 125 से 135 दिन की शीघ्र पकने वाली किस्म है। इसका दाना बड़ा व हल्के पीले रंग का होता है। इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है।

 बहार: अरहर कि ये किस्म 230 से 250 दिन में पक कर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है।

पूसा16: यह किस्म शीघ्र पकने वाली है, इसकी अवधि 120 दिन की होती हैं। इस फसल में छोटे आकार का  पौधा 95 सेमी से 120 सेमी लंबा होता है। इस किस्म की औसत उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।

खाद एवं उर्वरक का उपयोग

 अरहर की खेती Arhar-ki-javik-kheti के लिए पांच ट्राली गोबर की सड़ी हुई खाद  एक बैग डीएपी प्रति एकड़ 20 किलो प्रति एकड़ सल्फर एवं पोटाश बोनी के समय बीज में मिला कर बोनी की जाती है

 अरहर की खेती में बुवाई का समय एवं बीज की मात्रा

 अरहर की खेती खरीफ की प्रमुख फसल है इसलिए इसको मानसून आने के बाद 15 जून से 15 जुलाई तक इसकी बोनी की जा सकती है अरहर की बनी के लिए 10 किलो प्रति एकड़ बी की मात्रा उपयुक्त मानी जाती है इसमें बीज से बीज की दूरी 10 सेंटीमीटर लाइन सीलन की दूरी 18 सेमी रखी जाती है

अरहर की खेती में खरपतवार नियंत्रण


अरहर की खेती में Arhar-ki-javik-khetiखरपतवार नियंत्रण के लिए जैविक विधि का उपयोग किया जाता है जिसमें मजदूरों द्वारा फसल की उम्र 30 से 40 दिन होने के बाद खुरपी द्वारा निदाई की जाती है जिससे खरपतवार नियंत्रण किया जाता है

अरहर की फसल में कीट नियंत्रण

अरहर की फसल में Arhar-ki-javik-kheti कीट नियंत्रण नीम तेल एवं धतूरा लाल मिर्च लहसुन द्वारा बने बनाए गए कीटनाशक का उपयोग किया जाना चाहिए इसके अलावा केमिकल खेती के लिए इल्ली चंपा का प्रकोप होने पर एंडोसल्फान 25 सीसी का उपयोग किया जा सकता है

अरहर की फसल कटाई गहाई

अरहर की फसल पक जाने पर मजदूरों द्वारा हसिया की सहायता से फसल की कटाई की जाती है एवं फसल को सूख जाने पर डंडे से फलिया की लड़ाई की जाती है उसके दाना उड़कर साफ कर लिया जाता है दूसरी  यांत्रिक विधि द्वारा  थ्रेसर द्वारा गाय की जाती है

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