wheat-farming-in-Hindi/गेहूं की खेती


गेहूं की खेती wheat-farming-in-Hindi

 गेहूं की खेती गेहूं की खेती रवि सीजन में की जाती है इसकी बुवाई लगभग 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक समय से की जाने वाली बुवाई की जाती है एवं देर से पकाने वाली 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक बनी की जा सकती है देर से पकाने वाली गेहूं की वैरायटी की ध्वनि समय से की जाना चाहिएwheat-farming-in-Hindi लेट से बुवाई करने पर इसके उपज में काफी अंतर कमी हो सकती है

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 गेहूं की खेती में जमीन की तैयारी

धान की फसल अथवा मक्का की खेती के ऊपर बोई जाने वाली गेहूं की फसल को बोन से पहले जमीन को अच्छी तरह पिलाओ द्वारा एवं हीरो रोटरी द्वारा जमीन को समतल करके की सिंचाई कर देना चाहिए बतराने पर गेहूं की बनी कर देना चाहिए जमीन में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है


अनुशंसित किस्में

छत्तीसगढ़ के लिए गेहूं की नई विकसित अनुशंसित किस्में

हर्षिता (HI – 1531), उर्जा (HP-2664), पूसा व्हिट-111(HD-2932), MP-1203, MPO(JW) , 1215 (MPO 1215),  JW-3288, पूसा मंगल (HI 8713), MP 3336 (JW 3336)

हरियाणा के लिए गेहूं की नई विकसित अनुशंसित किस्में

UP-2338, WH-896, श्रेष्ठ (HD-2687), UP-2425, KRL-1, PBW-396, WH-283, HD-2329, कुंदन (DL-153-2),  RAJ-3077, WH-416, WH-542, DBW – 16, DBW-17, PBW-502, VL-GEHUN-832, WH-1021, PBW-550, PBW-590, MACS 6222, PDW 314, WHD-943, DPW 621-50(PBW 621 & DBW 50), WH-1080 , KRL-210, HD 3043, PBW 644, HD-2967, WH 1105, DBW-71, DBW 90, पूसा गौतमी (HD) 3086)      DBW 88

बिहार के लिए गेहूं की नई विकसित अनुशंसित किस्में

गंगा (HD-2643), मालवीय व्हिट -468 (HUW-468), PBW-443, HD-2733 (VSM,  कौशाम्बी (HW-2045),  HD-2307, HP-1493, HDR-77, सोनाली (HP-1633), शताब्दी (K-0307), HD 2733 (VSM), पूसा व्हिट-107 (HD-2888), DBW 14, नरेन्द्र व्हिट – 2036, MACS-6145, पूर्वा (HD 2824), RAJ-4120, DBW 39, पूसा प्राची (HI-1563),  पूसा बसंत (HD 2985,  KRL-210

झारखण्ड के लिए गेहूं की नई विकसित अनुशंसित किस्में

कौशाम्बी (HW-2045), शताब्दी (K-0307), पूसा व्हिट-107 (HD-2888), DBW 14, नरेन्द्र व्हिट – 2036,  MACS-6145, पूर्वा (HD 2824), RAJ-4120, DBW 39, पूसा प्राची (HI-1563), पूसा बसंत (HD 2985) दिल्ली के लिए

दिल्ली के लिए गेहूं की नई विकसित अनुशंसित किस्में

UP-2338 , श्रेष्ठ(HD-2687), UP-2425,  KRL-19,  PBW-396,  HD-2329, WH-542,  DBW – 16,  WH-1021 , PBW-550,  PBW-590, MACS 6222,  PDW 314, WHD-943, DPW 621-50(PBW 621 & DBW 50), KRL-210, HD 3043, PBW 644,  HD-2967, WH 1105,  DBW-71,  DBW 90, पूसा गौतमी (HD) 3086 ), DBW 88

गेंहू की खेती के लिए बीज की मात्रा

लाइन में बुआई करने पर सामान्य दशा में 100 किग्रा० तथा मोटा दाना 125 किग्रा० प्रति है, तथा छिटकवॉ बुआई की दशा में सामान्य दाना 125 किग्रा० मोटा-दाना 150 किग्रा० प्रति हे0 की दर से प्रयोग करना चाहिए। बुआई से पहले जमाव प्रतिशत अवश्य देख ले। राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा निःशुल्क उपलबध है। यदि बीज अंकुरण क्षमता कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा ले तथा यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें।

गेहूं की खेती में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग

किसान भाईयों, गेहूं की खेती  में जमीन की जाँच के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। बोने गेहूँ की बेहतर उपज के लिए, आपको खेत में मक्का, धान, ज्वार, और बाजरा की खरीफ फसलों के बाद भूमि में 150:60:40 किग्रा प्रति हेक्टेयर की मात्रा में और देरी से बोए गए गेहूं की फसल में 80:40:30 किग्रा प्रति हेक्टेयर की मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश का उपयोग करना चाहिए।

आम स्थिति में, 120:60:40 किग्रा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश का साथ में और 30 किग्रा गंधक प्रति हेक्टेयर की मात्रा का उपयोग फायदेमंद साबित होता है। जिन क्षेत्रों में डी.ए.पी. का प्रयोग नियमित रूप से किया जाता है, वहां 30 किग्रा गंधक का उपयोग लाभकारी रहेगा।

यदि खरीफ में धान फसलें बोई गई हैं, तो नाइट्रोजन की मात्रा को 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर तक कम करें। गेहूं की खेती Gehu ki Kheti में अच्छी उपज के लिए, 60 कुंदल प्रति हेक्टेयर गोबर का उपयोग करें। यह भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ावा देने में मदद करता 

है। किसान भाइयों ध्यान दें कि गेहूँ के पौधों को सही तरह से गुड़ा़ई देने के लिए सही उर्वरकों का सही समय पर उपयोग करना महत्वपूर्ण है। इससे आपके खेत में पैदावार बढ़ी जा सकती है

बुवाई की विधियाँ

गेहूँ की बुवाई मुख्यतः छिटकवाँ,सीड ड्रील और शून्य जुताई मशीन के द्वारा किया जाता है.

छिटकवाँ विधि

कल्टीवेटर लगे ट्रैक्टर से खेत की जुताई कर बीज की छिटकवाँ विधि से जुताई करते है.पुनः कल्टीवेटर से बीज को मिलाकर खेत में पाटा लगा दिया जाता है.इस विधि से की गई बुवाई में न तो पंक्ति की दूरी और न ही गहराई का ध्यान रखा जाता है.

सीड ड्रील द्वारा

सीड ड्रील बीज बोने का एक यन्त्र है.इसमें बीज और उर्वरक के लिए अलग-अलग बक्सा लगा होता है.खेत की तैयारी के उपरांत इस यंत्र के द्वारा उपयुक्त पंक्तियों की दूरी एवं गहराई के अनुसार बुवाई की जाती है.

शून्य जुताई मशीन द्वारा

सीड ड्रील मशीन की तरह ही शून्य जुताई मशीन भी बुवाई का कार्य करती है.wheat-farming-in-Hindi फर्क सिर्फ इतना है कि इस यन्त्र से बुवाई करने से पूर्व खेत की जुताई की जरुरत नही पड़ती है.इस मशीन के हल के फाल की जगह ब्लेड लगा होता है.जिससे मिट्टी में एक चीरा बनता जाता है और खाद तथा बीज की बुवाई बिलकुल सही स्थान पर हो जाती है.इस मशीन के द्वारा बीज गिरने की दर एवं गहराई का आवश्यकतानुसार बुवाई से पूर्व ही ठीक कर लेना जरुरी होता है.बुवाई के बाद खेत में पाटा लगाने की जरुरत नही पड़ती है.

सिंचाई :

गेंहु में पहली सिंचाई 30 दिन के भीतर दूसरी सिंचाई 55 दिन के भीतर तीसरी सिचाई 75 दिन के भीतर एवं फुल आने की अवस्था में एक सिंचाई करना चाहिए सिंचाई से पहले मिटटी को देख लेना चाहिए नमी है या नहीं यदि नमी है तो सिंचाई को आगे बड़ा देना चाहिए सिंचाई करने के बाद खेत में पानी दीखता है तो 3-4 घंटे में पानी को बहार निकाल देना चाहिए ताकि पौधा सुरकछित रहे |

बिमारी एवं कीट:

गेंहु की फसल में अधिकाँश भूरा रतुआ, पीला रतुआ, काला रतुआ एवं दीमक देखने को मिलती है इनकी पहचान निम्न प्रकार से है,

भूरा रतुआ- पत्तियों की उपरी सतह पर नारंगी रंग के सुई की नोक के समान बिंदु होते है गर्मी बड़ने पर इन धब्बो का रंग पत्तियों की निचली सतह पर काला हो जाता है |

पीला रतुआ- यह पत्तियों पर पीले रंग की धारियों के रूप में देखने को मिलती है जो की पत्तियों को धीरे धीरे पीला कर देते है कल्ले निकलने वाली अवस्था में आने से दाने सही नहीं बन पाते है एवं वजन में हलके होते है यह रोग तापमान बड़ने पर कम हो जाता है

रोकथाम:

किसान को खेत का निरीक्षण करते रहना चाहिए रोकथाम के लिए प्रोपीकोनाजोल 25%ईसी 250 मिलीलीटर एवं क्लोरोपयरिफास 50%+सायपर्मेथ्रिन 5%ईसी 350 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिडकाव कर देना चाहिए |

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फसल की कटाई

जब फसल के पत्ते और तना पीला होने लगे तो आप अपनी फसल की कटाई शुरू कर सकते हैं।wheat-farming-in-Hindi दूसरा संकेत गेहूं की नमी की मात्रा है, अगर यह 25 से 30% है तो आप फसल काट सकते हैं। हालांकि, बारानी फसल में परिपक्वता का समय पहले पहुंच जाता है।

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