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muli-ki-kheti-jankari /radish-farming

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 परिचय कृषि क्षेत्र में मूली की जैविक खेती करके किस अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं इसकी खेती की जानकारी इस लेख में दी जा रही है muli ki kheti jankari मूली की खेती में जमीन की तैयारी बनी का समय खाद एवं उर्वरक की मात्रा खरपतवार नियंत्रण सिंचाई कटाई से संपूर्ण जानकारी दी जा रही है किसान भाई इस लेख का फायदा लेकर मूली की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं जमीन की तैयारी मूली की जैविक खेती में जमीन को पिलाओ द्वारा या तोता हाल द्वारा गहरी जुताई करके जमीन को समतल कर लेना चाहिए एवं इसकी बुवाई के लिए जमीन में महल पद्धति से बनी करना चाहिए बिजाई जैविक मूल्य की खेती के लिए बोनी के लिए सही समय बरसात एवं ठंड के दिनों में और गर्मियों में अप्रैल माह में इसकी बनी की जा सकती है muli ki kheti jankari अगस्त सितंबर में की जाने वाली बनी से अच्छा फायदा किसानों को मिलता है मूली की जैविक खेती के लिए मेड पद्धति से बीच की बिजाई करना चाहिए जिसमे बीज से बीच की दूरी 4 सेमी एवं महल से महल की दूरी ढाई फीट रखना चाहिए  सिंचाई मूली की खेती के लिए 7 से 10 दिन के भीतर स्प्रिक कलर द्वाचाई की जाना चाहिए हल्की सिंचाई करन...

zero-budget-natural-farming/prakritik-kheti

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  जीरो बजट प्राकृतिक खेती  जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग मूल रूप से महाराष्ट्र की एक किसान सुभाष पालेकर द्वारा विकसित रसायन मुक्त कृषि का एक रूप है यह विधि कृषि की पारंपरिक भारतीय प्रथाओं पर आधारित है इस zero budget natural farming खेती के जानकारों का कहना है कि यह खेती देसी गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधारित है जीरो बजट प्राकृतिक खेती क्या है सुभाष पालेकर की जीरो बजट फार्मिंग प्राकृतिक खेती में कृषि लागत उर्वरक कीटनाशक और गहन सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती जिससे कृषि लागत में आश्चर्य जनक रूप से गिरावट आती है इसलिए zero budget natural farming इसे जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का नाम दिया गया है इसके अंतर्गत घरेलू संसाधनों द्वारा विकसित प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें किसानों को किसी भी फसल को उगाने में कम खर्च आता है और कम लागत लगने के कारण उसे फसल का किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का आधार है जीवामृत यह गाय के गोबर मूत्र और पत्तियों से तैयार कीटनाशक का मिक्सर है सुभाष पालिकारी कृषि वैज्ञानिक हैं और उन्होंने पारंपरिक भारतीय कृषि प्रथाओं को...

flax-seed-farming-in-India

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                                                   अलसी के फायदे                      अलसी   अलसी क्या है हिंदी में -   flax seed farming in India भारतवर्ष में अलसी की खेती के साथ की जाती है हिमाचल प्रदेश में भी 6000 फुट की जमीन तक अलसी बोई देश में जगह-जगह पाई जाती है अलसी के बीज के रंग रूप और आकार में अंतर सफेद, धूसर, धूसर में पाए जाते हैं इसके कई प्रकार के बीज प्राप्त होते हैं। अलसी के बारे में-   वैज्ञानिक नाम लिनम यूसिटेटिसियम लिनम यूसिटेटिसियम कुल नाम - लिनेसी लिनेसी अंग्रेजी नाम - लिनेसी फ्लैक्स सीडलिनसी फ्लैक्स सीड   संस्कृत नाम-- अलसी, नील पुष्प, उमा, अतसी,  हिंदी नाम - अलसी, तीसी अलसी का स्वरूप -  इसका पौधा 2-4 फुट ऊंचा सीधा व कोमल होता है। flax seed farming in India पत्र रेखा कर भला कर नौकरी वा फलक तीन शहरों से युक्त होता है। फूल सुन्दर आकाशीय रंग के फल...

organic-farming-history/जैविक खेती का इतिहास

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  Organic farming history/जैविक खेती का इतिहास जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कहा कि जैविक खेती प्राकृतिक की खेती के श्रेणी में आता है जहाँ सबकुछ आसानी से मिल जाता है।उन्होंने कहा कि जैविक खेती को आधार बनाकर युवा अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते है।क्योंकि रसायनिक खेती प्रभाव से उतपन्न समस्या के समाधान के लिए लोग जैविक खेती की ओर उम्मीद भरी निगाह से देख रहे है organic farming history जिसका नतीजा है कि आनेवाले दिनों जैविक खेती में स्वरोजगार की सम्भावना दिखाई दे रहा है।जिसमे जैविक खाद:ऐसे खाद जिसमे सुक्ष्मजीवों का एक बहुत बड़ा योग्दान रहता है, प्राकृति के अंदर कई प्रकार के अवशिष्ट पदार्थ होते है।जिसमे घर के अवशिष्ट पदार्थ और पशु से जो अवशिष्ट पदार्थ निकले अपशिष्ट शामिल है। जैविक खेती पर निर्भर Dependent on organic farming जैविक खेती की जड़ें organic farming history मानव कृषि इतिहास की मिट्टी में गहराई से जांच करती हैं। हम अपने पूर्वजों के शिकार और सभा से स्थानांतरित करने के बाद प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिक प्रक्रियाओं पर 99% समय से निर्भर हैं और कुछ 10,000 साल पहले पौधों और...